कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.
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कमबख्त होंठ मेरे दिल का साथ नही देते। हाल ए दिल कैसा भी हो मुस्कुरा ही देते हैं । वाह क्या कहने ।
दिल से कहो अब और न सताया करे...कोतुहल में कितना कुछ कह गये आप...
बहुत उम्दा बात कह गये...कमबख्त होंठ मेरे दिल का साथ नही देते।
खुद की लिखी ये पंक्तियाँ याद आयी-भला बेचैन क्यों होता, जो तेरे पास आता हूँकभी डरता हूँ मन ही मन, कभी विश्वास पाता हूँनहीं है होंठ के वश में जो भाषा नैन की बोलेनैन बोले जो नैना से, तरन्नुम खास गाता हूँसादर श्यामल सुमन09955373288www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत खूब शुभकामनायें
आप सभी का पसंद करने के लिए धन्यवाद. मेरी कोशिश रहेगी मैं इसी तरह लिखता रहूँ और बेहतर सीखता रहूँ.
कमबख्त होंठ मेरे दिल का साथ नही देते।
जवाब देंहटाएंहाल ए दिल कैसा भी हो मुस्कुरा ही देते हैं ।
वाह क्या कहने ।
दिल से कहो अब और न सताया करे...
जवाब देंहटाएंकोतुहल में कितना कुछ कह गये आप...
बहुत उम्दा बात कह गये...कमबख्त होंठ मेरे दिल का साथ नही देते।
जवाब देंहटाएंखुद की लिखी ये पंक्तियाँ याद आयी-
जवाब देंहटाएंभला बेचैन क्यों होता, जो तेरे पास आता हूँ
कभी डरता हूँ मन ही मन, कभी विश्वास पाता हूँ
नहीं है होंठ के वश में जो भाषा नैन की बोले
नैन बोले जो नैना से, तरन्नुम खास गाता हूँ
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत खूब शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआप सभी का पसंद करने के लिए धन्यवाद. मेरी कोशिश रहेगी मैं इसी तरह लिखता रहूँ और बेहतर सीखता रहूँ.
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