शनिवार, 11 अक्तूबर 2008

चल दिए हम भी एक नई नौकरी और नए शहर की ओर!

मैंने कभी नही सोचा था कि कभी अपने शहर को छोड़कर कहीं जा पाउँगा ओर अगर जाऊंगा तो इतनी दूर जाना पड़ेगा। मगर शायद ज़िन्दगी इसी को कहते हैं। या शायद यही वो वजह है जिसने सभ्यता को फैलाया हैं। पता नही क्यूँ मगर बड़ा ही अजीब लग रहा है। अपने घर से दूर bangalore जाना।
एक ऐसा शहर जहाँ शायद मुझे कोई जानने वाला नही होगा। हाँ अगर कोई साथी होगा तो शायद मेरा ये ब्लॉग जहाँ मैं अपने दिल को उतार पाउँगा।

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