गुरुवार, 20 नवंबर 2008

बड़ी नाज़ुक है ये मंजिल मुहब्बत का सफर है.

कुछ समझ नही आ रहा था के क्या लिखूं, तो जगजीत सिंह जी की गई एक ग़ज़ल कानो में गूंजने लगी।
तो सोचा क्यूँ न आज दिल के हालात जगजीत सिंह जी की आवाज़ में आपको सुना दूँ।


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