कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.
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वो मुझे ग़ैर समझता रहा उम्र भर,और मैं उसे अपना कहता रहा ,वो मुझसे दूर रहा करता था हर दम,और मैं अपनी ज़िन्दगी में उसे रखता रहा,
था एक नादान मैं ही,
मैं उसके ग़म में रोता रहा,और वो मुझे ग़म देता रहा...
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bahut khub shandar rachna bahut khub
bahut khub
जवाब देंहटाएंshandar rachna
bahut khub