चाहता है कोई कुछ, तो कोई कुछ बनना चाहता है,
मैं बस मैं हूँ, मैं, मैं बनना चाहता हूँ।
न मैं ये चाहता हूँ, के पंछियों की तरह उड़ान भरूँ,
न मैं चाहूँ के बन जाऊँ कोई कोयल सुरीली,
न मैं चाहूँ के आफताब बनूँ,
मैं तो बस ज़मीन पे रहना चाहता हूँ,
हाँ मैं, मैं तो बस मैं बनना चाहता हूँ।
होगा वो कोई और जिसके अरमान होंगे आगे,
जो चाहेगा सारे ज़माना को हासिल करना,
चाहता होगा कोई भीड़ से अलग दिखना,
मगर मैं इस भीड़ का हिस्सा बनना चाहता हूँ,
हाँ मैं, मैं तो बस मैं बनना चाहता हूँ।
हाँ मैं, मैं तो बस मैं बनना चाहता हूँ।
जवाब देंहटाएं-बहुत उम्दा, क्या बात है!