बुधवार, 17 सितंबर 2008

ए मेरे ख़ुदा अब दे, तो मौत से कम ना दीजो! हाल ऐ दिल!

मुझे तलाश है, ख़ुद के मिल जाने की,
टूट कर फिर, फिज़ाओं में बिखर जाने की।

ना रोकना मुझको, ए आसमान, आज तू उड़ने से,
के फिर तमन्ना हुई है, ख़ुदा से मिलके आने की।

ना जाने कहाँ, खो गया हूँ मैं आजकल,
ना पता ख़ुद का है, और ना है खबर ज़माने की।

कहने लगे हैं मुझसे, यूँ लोग भी अब ,
क्या ज़रूरत थी ख़ुदा को, तुझे बनाने की।

मेरी ज़िन्दगी ख़ुद, मुझ पर एहसान थी ये,
मुझ पर ही है तोहमत, इसे बोझ बनाने की।

ए मेरे ख़ुदा अब दे, तो मौत से कम ना दीजो,
यही आखिरी दुआ है, तेरे इस दीवाने की।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails