कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.
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यूँ सोचता हूँ के कभी मिलूँ,तुझसे अचानक कहीं,
खौफ़ बस इतना है,के तू कहीं शर्मिंदा ना हो जाये।
क्या बात है ...... क्या किया है ऐसा जो वो शर्मिंदा होंगे .......
wah...apani inn ankhoon main daba rakha hai,dard ka dariya kahin,khof bas itna hai,kahin teri hasti na bhah jaye!
क्या बात है ...... क्या किया है ऐसा जो वो शर्मिंदा होंगे .......
जवाब देंहटाएंwah...
जवाब देंहटाएंapani inn ankhoon main daba rakha hai,
dard ka dariya kahin,
khof bas itna hai,
kahin teri hasti na bhah jaye!