शुक्रवार, 29 जनवरी 2010

लगता है आज फिर मेरी नमाज़ क़ज़ा होगी। त्रिवेणी की कोशिश!



यूँ हवा में उड़ती हुई ज़ुल्फें तेरी,
और उनमें मचलते हुए मेरे अरमान,
!
!
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लगता है आज फिर मेरी नमाज़ क़ज़ा होगी।

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