बुधवार, 27 जनवरी 2010

काश वक़्त मुड़कर चला आता। त्रिवेणी की कोशिश!


चलता जा रहा हूँ बस यूँही,
उन्ही रास्तों पर तुम्हारी यादों के साथ,
!
!
!
काश वक़्त मुड़कर चला आता।

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