रविवार, 24 जनवरी 2010

ये झूठ इतना खूबसूरत क्यूँ होता है? त्रिवेणी की कोशिश!

यूँ बरसते हैं उसकी आँखों से आंसू,
जैसे सीप से मोती निकलकर बिखर रहे हों,
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ये झूठ इतना खूबसूरत क्यूँ होता है?

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