पिछले दिनों सुबह उठते ही जब एक जूते को उछलते हुए देखा तो ऐसा लगा मानो किसी भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी ने stumps पे निशाना साधा हो और जब stump को हिलते हुए देखा तब पता चला वो stump नही था बल्कि दुनिया के सबसे ताक़तवर मुल्क के राष्ट्रपति थे वो भी बुश। जब तक मैं कुछ और सोच पाता इतने में एक और जूता दिखाई दे गया इस बार भी निशाना सही नही। तभी मुझे लगा के आज इराकी लोगों को अफ़सोस हुआ होगा के क्यूँ उनका देश क्रिकेट नही खेलता अगर उस पत्रकार ने क्रिकेट खेला होता तो हो सकता है उसका निशाना न चूकता । मैं तो कहता हूँ के आईसीसी और बीसीसीआई को क्रिकेट को बढावा अगर देना है तो इराक जाकर वहां के पत्रकारों और बच्चों को क्रिकेट सिखाये ताकि वो हिलते हुए और एक stump पे भी निशाना लगा सके जैसे हमारे खिलाड़ी दौड़ते हुए विकेट उखाड़ देते हैं बाल मार कर। और अगर निशाना अगली बार लग गया तो समझ जाना चाहिए के अभी तो ये जूता जो निशाना चूक गया ५० करोड़ का बिक रहा है ज़रा सोचो निशाना लगने के बाद तो अरबों का होता
और सलाह अमेरिकी राष्ट्रपति को के इस आर्थिक मंदी के दौर में लोगों को करोड़ों कमाने का मौका दें। भला जहाँ काम धंदे चौपट है वह कम से कम जूता उद्योग को तो तरक्की का मौका मिलना ही चाहिए।
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