आओ ज़रा खुद से बात करें दोस्तों,
अपने गुज़रे वक़्त को याद करें दोस्तों।
के पाया तो है बहुत, हमने ज़िन्दगी में,
जिनकी वजह से पाया, उन्हें याद करें दोस्तों।
गुज़रता वक़्त भी ये हमें, पीछे छोड़ जायेगा,
हम जिनको छोड़ आये हैं, उनकी बात करें दोस्तों।
ज़माना यूँ भी तो, हमारा नही था कभी,
हम जिनके थे ज़रा, उनसे मुलाक़ात करें दोस्तों।
ख्वाहिशें हमारी हैं, ज़रा मासूम सी अभी तक,
अपनों की भी ख्वाहिशों का, ख्याल करें दोस्तों।
गुज़रता वक़्त भी ये हमें, पीछे छोड़ जायेगा,
जवाब देंहटाएंहम जिनको छोड़ आये हैं, उनकी बात करें दोस्तों।
बेहतरीन...बहुत ही अच्छी रचना...वाह.
नीरज
ख़्याल बहुत बढ़िया हैं
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