कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.
बुधवार, 29 सितंबर 2010
मंगलवार, 28 सितंबर 2010
शायद अब क़द्र उसको यारों की होगी! त्रिवेणी की कोशिश!
है उदास वो आज फिर,
बैठा है तन्हा,
!
!
!
शायद अब क़द्र उसको यारों की होगी...
बैठा है तन्हा,
!
!
!
शायद अब क़द्र उसको यारों की होगी...
रविवार, 26 सितंबर 2010
जिसमे था कोई बुत, कोई इबादत खाना! त्रिवेणी की कोशिश!
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