रविवार, 18 जुलाई 2010

उनको तो राज़ छुपाना भी नहीं आता! त्रिवेणी की कोशिश!


ख़ुद-ब-ख़ुद बोल जाती हैं आँखें उनकी,
जो वो नहीं कहते, कह जाती हैं आँखें उनकी,
!
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उनको तो राज़ छुपाना भी नहीं आता.....

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