कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.
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"कमी शायद मुझी में थी, या जगह थोड़ी कम रही होगी...."mast hai ji...kunwar ji,
बढ़िया............"
बहुत खूब ... दो लाइनों में गहरा सार ....
bahut khub हुत खूब ...@@@@@@@@@http://kavyawani.blogspot.com/shekhar kumawat
अच्छी लगी आपकी कवितायें - सुंदर, सटीक और सधी हुई।
"कमी शायद मुझी में थी, या जगह थोड़ी कम रही होगी...."
जवाब देंहटाएंmast hai ji...
kunwar ji,
बढ़िया............"
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंदो लाइनों में गहरा सार ....
bahut khub
जवाब देंहटाएंहुत खूब ...@@@@@@@@@
http://kavyawani.blogspot.com/
shekhar kumawat
अच्छी लगी आपकी कवितायें - सुंदर, सटीक और सधी हुई।
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