रविवार, 28 फ़रवरी 2010

तेरे लबों के बोल, रंगीन हैं, रंगों की तरह! त्रिवेणी की कोशिश!


बरसते हैं यूँही रंगों की तरह,
और दिल को गुलज़ार कर जाते हैं,
!
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तेरे लबों के बोल, रंगीन हैं, रंगों की तरह.....

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