बुधवार, 23 जनवरी 2008

हाय रे बाज़ार!

हाय रे बाज़ार! ये तूने क्या किया?
कितने आर्मानो से लोगों ने तुझसे उम्मीद की थी।
किसी ने अपनी बेटी के ब्याह के लिए तेरे पास अपने कीमती पैसे को लगाया था तो किसी ने अपने बुढापे का सहारा तुझे बनाया था। क्या वजह थी के तुने इतने सारे लोगों का यकीन तोड़ दिया?
इतने सारे लोग तेरे बारे में?
Itne saare log tere baare mein भाषण देते हैं टीवी पर बैठकर। एक से बढ़कर एक मुश्किल सा डाटा दिया जाता है। और लोग उसमें उलझ जाते हैं।

लेकिन में एक कोशिश ज़रूर करूँगा तेरे बारे में लोगों को ज़रूर बताऊंगा ताकि वो खुद ही अपनी सोच से तेरे बारे में जान सकें और तेरे बारे में फैसला कर सकें।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails