निदा अर्शी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
निदा अर्शी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 27 नवंबर 2008

मैंने हिन्दुस्तान को जलते देखा है! हाल ऐ वतन!

दहशत की आग में,

मैंने हिंदुस्तान को जलते देखा है,

हर एक वार से इसको लड़ते देखा है,

मरहम लगाने को कोई नहीं,

हाँ सियासी रोटियां सेकते देखा है,

चंद महीने में ही इसके ज़ख्मो को,

फिर हरा होते देखा है,

इंसानों को लाशो में तब्दील, होते देखा है,

नफरत की आग में लाखों घरो को, जलते देखा है,

जली हुई राख से,

हिन्दुस्तान के चमन को, फिर खिलते देखा है,

हर काली रात के बाद,

एक नई सुबह को, होते देखा है,

मैंने हिन्दुस्तान को जलते देखा है.....

मैंने हिन्दुस्तान को जलते देखा है.....

निदा अर्शी....

शनिवार, 21 जून 2008

क्या गुनाह किया है कोई जो नसीब में बस,तन्हाईयाँ और सिर्फ तन्हाईयाँ ही लिखी है। हाल ऐ दिल!

तन्हाई में जीने की आदत ना थी,

ना खवाहिश कभी चुप रहने की, की,

चाहतें तो घिरे रहने की थीं दूसरों से हमेशा,

पर मुमकिन नहीं कि हो हर सपना पूरा हमेशा।

कभी जो रहते थे दिल क करीब,

आज उन्हें हमारी मौजूदगी भी नागवार गुज़रती है,

बातों में हमारी सौ बुराइयां और बस खामियां ही खामियां दिखती है,

क्या सच में बदल दिया वक़्त ने इतना कुछ कि,

कि हमारी परछाईयाँ भी हम से डरती है।

क्या गुनाह किया है कोई जो नसीब में बस,

तन्हाईयाँ और सिर्फ तन्हाईयाँ ही लिखी है।

निदा अर्शी

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails