
ख़याल उसका ना कभी आया होता,
यूँ ना दर्द को हमने कभी पाया होता,
वो भी रहता कभी हमारे दिल के करीब भी,
ग़र दिल बेवफा से ना लगाया होता
कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.
के बात कुछ तो आज हो ही जाए,
कभी हम हँसे और कभी वो मुस्कुराये,
हो अगर सितम दिल पर, चलो ये भी सही,
के दिल में जलने का अरमान, रह न जाए।