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गुरुवार, 22 मई 2008

क्या आपने देव आनद साहब और दिलीप कुमार साहब को साथ नाचते देखा है?नही? तो यहाँ देखें.

क्या आपने देव आनद साहब और दिलीप कुमार साहब को साथ नाचते देखा है?नही? तो यहाँ देखें।
जब दो महान कलाकार साथ में काम करते हैं।

रविवार, 13 अप्रैल 2008

आखिर अब ये बात सारी दुनिया को पता चल ही गई की भारत में लोग पोस्टमार्टम क्यों नही करते?

अंत मैं ये बात अब जग ज़ाहिर हो ही गई की भारतीये किसी के मरने के बाद शरीर का पोस्ट मार्टम क्यों नही कराते। और ये पता चला भी तो ब्रिटिश पुलिस को स्कारलेट हत्या काण्ड के बाद। उनकी जांच के अनुसार वो लोग इस हत्या काण्ड की जांच नही कर सकते क्यूंकि जांच के लिए शरीर में ज़रूरी अंग हैं ही नही। यानी न तो कोई किडनी है, नही ही uterus और न ही stomach है। इतने संवेदन शील मामले में भी हमारे एक्सपर्ट अपनी करतूत से बाज़ नही आए और उन्होंने ऐसा किया. साथ ही उन्होंने ये चीज़ कि अंग हटाये गए है अपनी रिपोर्ट में दिखाया भी नही। अब किडनी की कमी से दृग्स की जांच में मुश्किल होगी, stomach की कमी से अल्कोहल और uterus की कमी से ये बात पता लगाने में समस्या आएगी कि किसने उसे बेईज्ज़त किया। ये ऐसा शायद पहला मामला दुनिया के सामने है जिससे पता चलता है कि हमारे देश में पोस्ट मार्टम किस तरह से किए जाते हैं।
यही वो कारण है जिसकी वजह से यदि किसी कि मौत हमारे देश में किसी हादसे से होती है तो लोग उसका पोस्ट मार्टम कराने से डरते हैं। क्यूंकि उन्हें ये लगता है कि ये लोग uske सभी ज़रूरी अंग निकाल लेंगे जोकि सच भी है। अब देखना ये है कि कितने लोग इस मुद्दे को उठाते है और इसका क्या होता है?
जहाँ तक मीडिया का सवाल है तो मुझे कुछ ख़ास उम्मीद नही है क्यूंकि ये ख़बर मैंने एक अंग्रेज़ी channel पर केवल flash होते हुए देखी कोई रिपोर्ट नही देखी बाकी हिन्दी चैनल्स को ये ख़बर कितनी ज़रूरी लगती है ये देखना बाकी है क्यूंकि उनकी तरफ़ से इस बारे में कोई सूचना नही है।

सोमवार, 7 अप्रैल 2008

आखिर क्या समानता है अमिताभ बच्चन और ब्लोग्वानी में?

कभी कभी सोचता हूँ कि आखिर क्या समानता है अमिताभ बच्चन और ब्लोग्वानी में?
तभी मेरा ध्यान जया बच्चन के बयान पर गया जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि किसी को अपनी बात दुनिया के सामने लानी हो तो वो इंसान अमिताभ बच्चन का नाम जोड़ देता है और इसी के साथ साथ अपने एक ब्लॉगर मित्र का एक लेख भी याद आ जाता है जिसमें उन्होंने वर्णन किया था कि किस प्रकार अपनी पोस्ट के आगे या पीछे ब्लोग्वानी जोड़ देने से उस पर देखने वालों की संख्या बढ़ जाती है।
यदि यदि किसी को अपना कोई समान या विचार बेचना होता है तो वो अमिताभ बच्चन का नाम इसमें शामिल कर देता है चाहे विवाद के तौर पे या चाहे विज्ञापन के तौर पे। मसलन यदि आपको लगे कि आपका समान नही बिक रहा है तो आप सोचेंगे कि किसी प्रकार इसमें अमिताभ बच्चन को शामिल कर इसके प्रचार किया जाए?
और यदि आप किसी राजनितिक दल के सदस्य हैं और आपको लगता है कि कोई आपको नही सुनता और आपकी राजनीति नही चल रही है तो आप अपने साथ अमिताभ बच्चन का नाम जोड़ सकते हैं चाहे प्रचार के तौर पर या चाहे विवाद के तौर पर आपकी राजनीति चल निकलेगी।
अब इसके उदाहरण यदि किसीको समझ न आया हो तो देख सकता है कि प्रचार के तौर पर अमिताभ जी का सबसे अधिक प्रयोग किया है समाजवादी पार्टी ने और विवाद पैदा कर अपनी राजनीति चमकाई है राज ठाकरे ने।
कहने का सार ये की अमिताभ के नाम पर उत्पाद और विवाद दोनों ही बिक सकते हैं।
ठीक इसी प्रकार से यदि किसीको लगता है उसके ब्लॉग पर पाठकों की संख्या नही बढ़ रही है तो वह व्यक्ति ब्लोग्वानी का नाम इसमें शामिल कर सकता है। पाठकों की संख्या अपने आप ही बढ़ जायेगी। इसके अनेक उदाहरण है॥ जिसका ज़िक्र हमारे कईं ब्लॉगर मित्र कर चुके है। वैसे इसका एक उदाहरण कोतुहल पर ही फालतू द्वारा लिखी गई पोस्ट हैं जिसमें ब्लोग्वानी का ज़िक्र था और उन पोस्ट को सबसे अधिक हिट्स प्राप्त हुए मगर जिस समस्या के लिए लिखे गए थे वो हल नही हो पाई। हाँ एक बात और यदि किसी को अपनी ब्लोगारी और चम्कानी है तो वह व्यक्ति इसमें भडास का ज़िक्र भी कर सकता है। मैंने ऐसी कईं पोस्ट देखीं हैं जिनका भडास से दूर दूर तक कोई लेना देना नही होता मगर भडास का ज़िक्र कर देने भर से चल पड़ती हैं। हाँ एक बात और यदि कोई पाठक ये समझता है की मैंने भी ऐसा ही किया है तो ये उसकी राये है जो की सही भी ही सकती है। मैं इससे इनकार नही करता।

बुधवार, 12 मार्च 2008

सुदर्शन फाकिर: उनकी गज़लें और ओरकुट पे उनकी community..

पिछले दिनों जब मैंने कागज़ की कश्ती और बारिश का पानी जैसा गीत/ग़ज़ल लिखने वाल्व सुदर्शन फाकिर जी के गुज़र जाने के बाद मैंने लिखा था तब कुछ लोगों न पूछा था की ये फाकिर कौन है और क्या है? तो मैंने उन्हें कुछ मशहूर गजलें और गीत बताये साथ ही जो कुछ मुझे मालूम था उनके बारे में वो भी बता दिया।
अब मुझे ओरकुट पे उनके नाम पर बनी community के बारे में पता चला है जो मैं सबके साथ में बांटना चाहता हूँ ताकि जो लोग उनसे वाकिफ़ नही हैं वो भी उन्हें जान जाएँ और कुछ बहुत खूबसूरत नज्मों का मज़ा ले पाएं साथ में सुदर्शन जी को याद भी कर पाएं। अगर आपका ओरकुट पे I D है तो आप सीधे इस लिंक पर क्लिक्क कर सकते हैं।
http://www.orkut.com/Community.aspx?cmm=44170117

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