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सोमवार, 2 जून 2008

IPL को मिली कामयाबी के लिए मेरी ओर से ICL को मुबारकबाद!

तो जनाब कल रात को हमने देखा IPL का शानदार final मैच जिसमें राजस्थान के रणबाँकुरों ने जीत हासिल की ओर ये प्रतियोगिता कामयाबी के साथ समाप्त हुई। बेशक इसमें बीसीसीआई ओर IPL के अधिकारियों का बड़ा हाथ है। ओर इसका श्रेय लेने वालों की कोई कमी नही है। मगर सवाल ये उठता है कि जब इतनी मेहनत बीसीसीआई ने की है तो मैं ICL को इसका श्रेय क्यों दे रहा हूँ? तो जनाब यदि ICL अपनी लीग लेकर नही आता तो बीसीसीआई इतनी जल्दी अपनी ये महा लीग लेकर नही आती। यदि कपिल देव जी ओर सुभाष चंद्र ने बगावत नही की होती हमारे इन नए चेहरों जिनका हम आजकल गुणगान कर रहे हैं, ये इसी तरह मैदान की गर्त में कहीं खोये रहते। क्यूंकि हमारी महाधनी बीसीसीआई को खिलाड़ियों को न तो धनी बनाने में कोई दिलचस्पी थी ओर न ही इनको कामयाब बनाने का शौक ही। बीसीसीआई की ये लीग तो केवल अपने एक छत्र वर्चस्व को बनाये रखने की ही कोशिश थी जिसमें वो कामयाब भी हो गई।
इसीलिए मेरी नज़र में हमें बीसीसीआई के साथ साथ ICL को भी इसका श्रेय देना चाहिए।
हाँ अब अगर ये बात बीसीसीआई माने तो उसे उन खिलाड़ियों पर लगा बन हटा देना चाहिए जो ICL में खेलते हैं ताकि उनके लिए भी भारत की राष्ट्रिये टीम में जगह पाने की उम्मीद बने। हालांकि ये बात तय है कि बोर्ड ऐसा करने वाला नही है। मगर इस बारे में विचार तो करना ही चाहिए।

गुरुवार, 3 अप्रैल 2008

भारतीये क्रिकेट टीम का प्रदर्शन:कभी का दिन बड़ा कभी की रात बड़ी.

हाँ तो जब सब लोग लगे हुए हैं लंगडे की टांग खींचने मैंने भी सोचा में भी हाथ लगा दूँ। तो आज हुआ ये की ऊँट पहाड़ के नीचे आगया। जहाँ मुर्दा पिच पर हम शेर होते हैं वहीं जानदार पिच पर हम बिल्ली। और दोस्ती इतनी पक्की कि किसी भी दोस्त को ड्रेसिंग रूम में अकेला नही रहने देते। तभी तो तू चल मैं आता हूँ कविता गई जाती है। वैसे ज़यादा बुरा कुछ भी नही था कोई भी हमेशा अच्छा नही खेल सकता इसी लिए कहा जाता है कि कभी का दिन बड़ा कभी की रात बड़ी। और कुछ नही. कमी हम चाहने वालों ही की है जो इन लोगों को एक अच्छे प्रदर्शन पर आसमान देते हैं इसी लिए इनके ख़राब खेलने पर हमें गुस्सा आता है। अच्छा यही है कि इन्हें खेलने दो और आसमान पर मत बिठाओ।
ये टेस्ट मैच है और इसमें कुछ भी हो सकता है। दरअसल ये खेल एक एक session का होता है जिसमें कुछ भी हो सकता है। एक session उनका अच्छा और एक session हमारा सब बराबर हो जाएगा।

शुक्रवार, 28 मार्च 2008

वीरेंदर सहवाग ने अपने ही रेकॉर्ड की बराबरी की और मुल्तान का सुलतान अब चेन्नई का राजा भी.

वीरेंदर सहवाग ने अपने ही रेकॉर्ड की बराबरी की और मुल्तान का सुलतान अब चेन्नई का राजा भी। इस ख़बर के साथ अचानक ही न्यूज़ चैनल्स पर उनकी तकनीक की तारीफों के पुल बंधने लगे। कुछ दिनों पहले तक उनके कदमों के न चलने की शिकायत करने वाले अचानक उनकी तारीफों के पुल बाँधने लग गए हैं। चलो अच्छा है चल जाए तो तीर वरना तुक्का ऐसा कहने वालों की कमी नही है। हाँ ये बात माननी पड़ेगी की सचिन के बाद अगर किसी को बैटिंग करते देखकर मज़ा आता है तो वो हैं सहवाग। अब चाहे को किसी भी तरह रन बना रहे हों।

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