तनहा खड़ा हूँ खुद के घर में / इमेज; hqwallbase.com |
न जाने कितनी बार लौटने का वादा करके फिर न लौटा मैं,
आज जब लौटा हूँ तो तनहा खड़ा हूँ खुद के घर में,
यूँ तो अक्सर मुझे आदत थी वादा करके ना आने की,
आज आया हूँ तो पता चला के बहुत से लोग चले गए इस घर से,
बहुत खूब ... किसी की इंतज़ार यूँ भी कोई नहीं करता ... फिर जिस मुसाफिर के वादे का भरोसा न हो उसका इंतज़ार ....
जवाब देंहटाएंyou are such an amazing poet...
जवाब देंहटाएंthanks for sharing such a good Sad Shayari
Thanks
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