बरसते हैं यूँही रंगों की तरह,
और दिल को गुलज़ार कर जाते हैं,
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तेरे लबों के बोल, रंगीन हैं, रंगों की तरह.....
कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.
रविवार, 28 फ़रवरी 2010
तेरे लबों के बोल, रंगीन हैं, रंगों की तरह! त्रिवेणी की कोशिश!
रविवार, 21 फ़रवरी 2010
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