कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.
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उसने मुझे देखा और ख़ंजर छुपा लिया,मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा लिया,!!!लगता है बाकी अब भी है कुछ शर्म उसमे...
बच के भाई जी।,,,,,,,,,,,,............
बच के भाई जी।,,,,,,,,,,,,............
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