यूँ पराया कर दिया उन्होंने मुझे देखो,
जैसे अब मैं उनके दिल का हिस्सा नहीं रहा,
चाहता रहा जिस शख्स को उम्र भर,
वो कह के चल दिया, " अब वास्ता नहीं रहा"।
हज़ार ख़्वाब देख दिए थे जिसकी ख़ातिर,
खो बैठा था अपना हवास भी मैं
,वो जिसको सोचता था सुब्हो-शाम, हर पल,
वो यूँ गया जैसे, गया वक़्त नहीं रहा।
है कहाँ मुमकिन उसे यूँ भूल जाना,
है कहाँ आसन ना याद करना उसे,
वो है मेरी साँसों में शामिल,
जिसके दिल में अब ये नादाँ नहीं रहा।
कल जब सुबह उठो, तो ज़रा झांक लेना खिड़की से,
सुन लेना आवाजें जो कभी तुम्हे बेचैन कर जाएँगी,
हो सके तो पूछ भी लेना बाहर गुज़रने वालों से,
जवाब यही मिलेगे पूछने पर तुम्हे,
"ये जनाज़ा है एक आशिक का जो अब नहीं रहा।"
bahut hee sundar mahaaraj, kya likha hai, achha laga..
जवाब देंहटाएंdil ki baaton ko shabdon mein bayaan kar diya ...waah
जवाब देंहटाएंमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति