काश ज़िन्दगी भी क़ायदों पे चला करती,
शुरू में लिखी बात आख़िर तक चला करती।
काश होता सबको पता अंजाम, क़ायदों के तोड़ने का क्या होगा,
काश इन क़ायदों के टूटने पे, सज़ा भी मिला करती।
न करता फिर कोई कोशिश, तोड़ने की दिल किसीका,
और न फिर कहीं किसीके, रोने की आवाज़ आया करती।
काश ज़िन्दगी भी क़ायदों पे चला करती,
शुरू में लिखी बात आख़िर तक चला करती।
यूँ कभी न रोता कोई बच्चा, भूख से उठकर,
न कोई बच्ची भूख से रोते हुए, सो जाया करती।
काश ज़िन्दगी भी क़ायदों पे चला करती,
शुरू में लिखी बात आख़िर तक चला करती।
पर ये काश भी अजीब दर्द रखता है,
जो न हो सके वही बात दबाकर रखता है,
बाद में आता है दिलाने, गलती का ये एहसास हमको,
काश इसको इस बात की, सज़ा भी मिला करती।
काश ज़िन्दगी भी क़ायदों पे चला करती,
शुरू में लिखी बात आख़िर तक चला करती।
काश होता सबको पता अंजाम, क़ायदों के तोड़ने का क्या होगा,
जवाब देंहटाएंकाश इन क़ायदों के टूटने पे, सज़ा भी मिला करती।
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बहुत सही दोस्त ...छा गये ...बहुत अच्छी रचना
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर कविता है
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