कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.
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ख़ुद-ब-ख़ुद बोल जाती हैं आँखें उनकी,जो वो नहीं कहते, कह जाती हैं आँखें उनकी,!!!
उनको तो राज़ छुपाना भी नहीं आता.....