जिंदगी की किताब के कुछ खाली पन्ने,
आज भी कुछ अल्फ़ाज़ों के लिखे जाने के इंतज़ार में हैं।
नादान है ये अभी नही जानते,
के फलसफ़ा जिंदगी का, तमाम हो चुका अपना।
कोतुहल मेरे दिमाग में उठता हुआ एक छोटा सा तूफ़ान है.जिसमें में अपने दिल में उठा रही बातों को लिख छोड़ता हूँ.और जैसा की नाम से पता चलता है कोतुहल.