कल दिल्ली में चुनाव का दिन और हमने भी सोचा था के कम से कम हम तो पप्पू नही बनेंगे। पर क्या करें, जो किस्मत में पप्पू बनाना ही लिखा था तो। हमारे चाहने या न चाहने से क्या होता है। जब चुनाव आयोग ही हमें पप्पू बनाना चाहता था। तो जनाब हुआ ये के हमारा तो नाम ही वोटर लिस्ट में से गायब पाया गया। और हम न चाहते हुए भी पप्पू बनकर घर वापस आ गए।
पर इस प्रकार से पप्पू बनने के बाद भी हमने सोचा के क्यूँ न इस बात का ऐलान भी कर दिया जाए। जो जो भाई जो लोग भी मेरी तरह न चाहते हुए भी पप्पू बने हैं तो ज़रा ज़ोर से बोले। गर्व से बोलो " हम पप्पू हैं ", ज़ोर से बोलो "हम पप्पू हैं।"