tag:blogger.com,1999:blog-7940371628969300709.post7892978560627998370..comments2023-06-30T19:41:21.739+05:30Comments on कोतुहल: क्यूँ वकीलों से भिड रहे हो जज साहब? इनकी ग़लती कहाँ है? ग़लती तो आपकी है, जो इन्हे ग़लती की सज़ा दे रहे हो!nadeemhttp://www.blogger.com/profile/02876217379889434662noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7940371628969300709.post-89775260832092789152008-08-22T23:54:00.000+05:302008-08-22T23:54:00.000+05:30न्यायपालिका ने स्वयं ही अपने अधिकार को यह निर्णय द...न्यायपालिका ने स्वयं ही अपने अधिकार को यह निर्णय दे कर कम कर दिया है। वास्तव में न्यायपालिका को इस तरह का निर्णय देने का अधिकार नहीं है। वह बार काउंसिल के समक्ष शिकायत को निर्णय के लिए प्रेषित कर सकती थी और काउँसिल के सही निर्णय नहीं करने पर उस पर अपील की सुनवाई की जा सकती थी। <BR/>रोज उच्चन्यायालय अनेक अपीलों को रिमांड करता है क्यों कि उसे सजा सुनाने का अधिकार नहीं वह मजिस्ट्रेट या सेशन जज को ही है। सजा की उपयुक्तता या अनुपयुक्तता उच्च न्यायालय देख सकता है। <BR/>यह देश का कानून है। अगर न्यायालय ही कानून से खेलने लगेंगे तो फिर कानून की परवाह करने वाले कितने रह जाएंगे? <BR/>सजा सही हो सकती है लेकिन सजा वह नहीं दे सकता जिसे इसे देने का अधिकार नहीं है। फिर तो पुलिस ही फैसले करने लगेगी। और पुलिस ही क्यों पकड़े जाने पर पुलिस तक भी क्यों जाया जाए? क्यों नहीं मौके पर ही सब कुछ निपटा दिया जाए। <BR/>यहाँ अपराधी वकीलों को बचाने का कोई इरादा नहीं है। लेकिन न्याय तो न्याय के तरीके से ही किया जाना चाहिए। वकीलों ने आरोपित कृत्य किया है तो उन्हें सजा मिलनी ही चाहिए। लेकिन कोई बारकाउँसिल का अधिकार छीनेगा तो बार काउँसिल तो बोलेगी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7940371628969300709.post-37460950538044317202008-08-22T23:06:00.000+05:302008-08-22T23:06:00.000+05:30सबसे बड़ा धंधा तो ये ही करते हैं कानून खरीदने और ब...सबसे बड़ा धंधा तो ये ही करते हैं कानून खरीदने और बेचने का धंधा। और वो भी हमेशा।Nitish Rajhttps://www.blogger.com/profile/05813641673802167463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7940371628969300709.post-64776013850192384742008-08-22T19:38:00.000+05:302008-08-22T19:38:00.000+05:30संजय जी की बात से मैं बिलकुल सहमत हूं कि चोर चोर म...संजय जी की बात से मैं बिलकुल सहमत हूं कि चोर चोर मौसेरे भाई होते । वकील वकील के खिलाफ कैसे हो सकता है भई।PREETI BARTHWALhttps://www.blogger.com/profile/07147371640692507101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7940371628969300709.post-23272451757638057822008-08-22T18:39:00.000+05:302008-08-22T18:39:00.000+05:30जज साहब को ले-दे कर मामला खत्म कर देना था, जब नहीं...जज साहब को ले-दे कर मामला खत्म कर देना था, जब नहीं माने तो आरोप झेलो...अभी तो वकिल आयेंगे बचाव में. सुना होगा चोर चोर मौसेरे भाई :)संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7940371628969300709.post-44993431781013147802008-08-22T16:48:00.000+05:302008-08-22T16:48:00.000+05:30जब वकीलों को सजा की नौबत आ गयी है, तो आप समझ सकते ...जब वकीलों को सजा की नौबत आ गयी है, तो आप समझ सकते हैं कि हालात कितने बदतर हैं।adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.com